चतुर्थ श्रेणीयों और तृतीय श्रेणियों के सभी कर्मचारियों के वेतन 50000 /- हो - जैनेन्द्र गेंदले
भारत में चतुर्थ श्रेणियों और तृतीय श्रेणियों के कर्मचारियों के वेतन कामों के हिसाब से वेतन बहुत कम है । सभी सरकारी दफ्तरों में फाईलों का अँबार है , दफतरों मे जनसंख्या के हिसाब से कर्मचारियों की सँख्या नहीं के बराबर है । भारत में चतुर्थ श्रेणियों और तृतीय श्रेणियों के वेतन कम से कम 50000 /- रुपयों से कम नही होना चाहिये । दफतरों का सभी काम का बोझ इन्हीं के कंधों पर होता है । वेतन कम होने के कारण खुले आम घुसखोरी हो रही है । भारत के सभी जनता घुसखोरी से नाराज है बिना घुस के कोई भी काम सही समय पर नही हो रहा है । सभी सरकारी दफ्तरों में घुसखोरी ही घुसखोरी है । नीचे से लेकर ऊ पर तक घुस ही घुस है। सभी दफ्तरों में कर्मचारियों की कमी है । सरकारी दफ्तरों का हाल बेहाल है । कर्मचारी , अधिकारी जनताओं से सीधे मुंह बात भी नहीं करते है । सरकारी दफ्तरों के सौ चक्कर लगाने पड़ते है । फिर भी छोटा सा काम तुरंत नहीं होता है। लोकतंत्र देश में सभी जनताओं के रुपयों से देश चल रहा है । सभी सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों का जो वेतन मिलता है वो भी सभी जनताओं की खून पसीने की कमाई का है । सभी जनताओं का कर्मचारियों और अधिकारियों पर समान अधिकार है , फिर अमीरों और गरीबों के सरकारी कामों में भेदभाव क्यों ? सभी कर्मचारी और अधिकारी देश के सभी जनताओं से करें अच्छा बर्ताव । अपना काम ईमानदारी से करें । सबका भला सोचें । किसी भी का अहित ना करें । सभी को एक समान समझें ।
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चतुर्थ श्रेणीयों और तृतीय श्रेणियों के सभी कर्मचारियों के वेतन |
भारत में चतुर्थ श्रेणियों और तृतीय श्रेणियों के कर्मचारियों के वेतन कामों के हिसाब से वेतन बहुत कम है । सभी सरकारी दफ्तरों में फाईलों का अँबार है , दफतरों मे जनसंख्या के हिसाब से कर्मचारियों की सँख्या नहीं के बराबर है । भारत में चतुर्थ श्रेणियों और तृतीय श्रेणियों के वेतन कम से कम 50000 /- रुपयों से कम नही होना चाहिये । दफतरों का सभी काम का बोझ इन्हीं के कंधों पर होता है । वेतन कम होने के कारण खुले आम घुसखोरी हो रही है । भारत के सभी जनता घुसखोरी से नाराज है बिना घुस के कोई भी काम सही समय पर नही हो रहा है । सभी सरकारी दफ्तरों में घुसखोरी ही घुसखोरी है । नीचे से लेकर ऊ पर तक घुस ही घुस है। सभी दफ्तरों में कर्मचारियों की कमी है । सरकारी दफ्तरों का हाल बेहाल है । कर्मचारी , अधिकारी जनताओं से सीधे मुंह बात भी नहीं करते है । सरकारी दफ्तरों के सौ चक्कर लगाने पड़ते है । फिर भी छोटा सा काम तुरंत नहीं होता है। लोकतंत्र देश में सभी जनताओं के रुपयों से देश चल रहा है । सभी सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों का जो वेतन मिलता है वो भी सभी जनताओं की खून पसीने की कमाई का है । सभी जनताओं का कर्मचारियों और अधिकारियों पर समान अधिकार है , फिर अमीरों और गरीबों के सरकारी कामों में भेदभाव क्यों ? सभी कर्मचारी और अधिकारी देश के सभी जनताओं से करें अच्छा बर्ताव । अपना काम ईमानदारी से करें । सबका भला सोचें । किसी भी का अहित ना करें । सभी को एक समान समझें ।
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लेखक - जैनेन्द्र गेंदले आर टी आई कार्यकर्त्ता सामाजिक कार्यकर्त्ता गुमा बिल्हा बिलासपुर छत्तीसगढ़ मो.न. - 7000232173 |
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